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Tuesday, March 20, 2012

राधा कृपा कटाक्ष


मांगने वाले खाली न लौटे, कितनी मिली खैरात न पूछो 
अरे उनकी कृपा तो उनकी कृपा है, उनकी कृपा की बात न पूछो 

भक्तो, हमारी राधा राणी कितनी दयालु हैं, ये शायद किसी को भी बताने कि आवश्यकता नहीं है परन्तु फ़िर भी न जाने क्यों मन में बार बार यही विचार आ रहा है कि मै राधे जू कि कृपा के विषय में लिखूं. इनका दरबार तो ऐसा है जहा हर प्रकार के जीव को गले से लगाया जाता है. इतनी कृपा हमारे ठाकुर जी तो कर ही नहीं सकते जितनी कृपा वो बरसाने वाली बरसा देती हैं. बांके बिहारी तो वैसे ही भक्तो की आहों के आशिक हैं पर राधे जू अपने भक्तों कि आँखों में आंसू नहीं देख सकते. जिस जीव पर राधा राणी कृपा कर दें, फ़िर वो तो बांके बिहारी से मुकाबला करने के काबिल हो जाता है. 

ऐसा ही एक प्रसंग मेरा लिखने का मन कर रहा है. बरसाने के पास एक छोटा सा स्थान है मोर-कुटी. इस स्थान कि महिमा मै बताने जा रहा हूँ. एक समय की बात है जब लीला करते हुए राधा जी प्रभु से रूठ गयी और वो रूठ के मोर-कुटी पर जा के बैठ गयी और वहां एक मोर से लाड करने लगी. जब हमारे ठाकुर जी उन्हें मनाने के लिए मोर-कुटी पर पधारे तो देखा कि राधे जू हमसे तो रूठ गयी और उस मोर से प्यार कर रही हैं. ठाकुर जी को उस मोर से इर्ष्या होने लगी. वो राधा राणी को मनाने लगे तो किशोरी जी ने ये शर्त रख दी कि हे! बांके बिहारी मेरी नाराज़गी तब दूर होगी जब तुम इस मोर को नृत्य प्रतियोगिता में हरा कर दिखाओगे. ठाकुर जी इस बात पर राज़ी हो गए क्यूंकि उस नन्द के छोरे को तो नाचने का बहाना चाहिए. और जब राधा राणी के सामने नाचने कि बात हो तो कौन पीछे हटे. प्रतियोगिता प्रारंभ हुई, एक तरफ मोर जो पूरे विश्व में अपने नृत्य के लिए विख्यात है और दूसरी ओर हमारे नटवर नागर नन्द किशोर. प्रभु उस मयूर से बहुत अच्छा नाचने लगे पर फ़िर किशोरी जी को लगा कि यदि बांके बिहारी जीत गए तो  बरसाने के मोर किसी को मुह नहीं दिखा पाएंगे कि स्वयं राधा के गांव के मोर एक ग्वाले से न जीत सके. इसलिए किशोरी जी ने अपनी कृपामयी दृष्टि उस मोर पर डाल दी और फ़िर वो मोर ऐसा नचा कि उसने ठाकुर जी को थका दिया. सच है बंधुओ जिस पर मेरी राधे जू कृपा दृष्टि डाल दे, वो तो प्रभु को भी हरा सकता है. जिसने राधा राणी के प्यार को जीत लिया समझो उसने कृष्ण जी को भी जीत लिया क्यूंकि ठाकुर जी तो हमारी किशोरी जी के चरणों के सेवक है. हम यदि अपनी जिह्वा से राधा नाम गाते हैं, तो उसमे हमारा कोई पुरुषार्थ नहीं है, वो तो उनकी कृपा ही है जो हमारे मुख पर उनका नाम आया. और बंधुओ पूरा राधा कहने कि भी आवश्यकता नहीं है, आप अपनी वाणी कहो सिर्फ "रा", ये रा सुनते ही बांके बिहारी के कान खड़े हो जाते हैं और जब आप आगे बोलते हो "धा" मतलब आप बोलते हो "राधा", तो बांके बिहारी के कान नहीं फ़िर तो बांके बिहारी ही खड़े हो जाते हैं उस भक्त के साथ चलने के लिए. 

जैसा कि गुरूजी कथा में भी बताते है, सात वर्ष के छोटे से कन्हैया ने सात कोस का बड़ा सा गोवेर्धन यदि उठाया था तो केवल राधा कृपा कटाक्ष के बल पर उठाया थ और इस बात कि पुष्टि खुद ठाकुर जी ने यही कह कर की है:
कछु माखन कूँ बल बढ्यो 
कछु गोपन करो सहाय
श्री राधे जू कि कृपा ते 
मैंने गिरवर लियो उठाए

राधा राणी की ठकुराई कि मै कहा तक चर्चा करूँ. किसी जीव कि तो छोडो, यदि राधे न चाहे तो बांके बिहारी भी ब्रज में नहीं रह सकते. जब कंस को मरने के लिए प्रभु मथुरा गए थे और फ़िर उद्धव को भेजा था ब्रज में अपना सन्देश देकर, तो राधा राणी के लिए उन्होंने यही सन्देश भेजा था:
हे वृषभानु सुते ललिते, मम कौन कियो अपराध तिहारो 
काढ दियो ब्रज मंडल ते, अब औरहु दंड दियो अति भारो
सो कर ल्यो अपनों कर ल्यो, निकुंज कुटी यमुना तट प्यारो
आप सों जान दया कि निधान, भई सो भई अब तेरो सहारो 

ये तो सारी पुराणी बातें हैं, पर पिछले दिनों उनकी एक कृपा मेरे ऊपर भी बरसी. मुझे अपने एक विशेष भक्त का सानिध्य उन्होंने प्रदान किया. उन्होंने मेरा मिलन हम सबके प्रिय, भक्त श्री प्रिंस वर्मा जी से करवा दिया. इस जीवन से और क्या आशा करें, वो गुरूजी का, अपने भक्तों का संग प्रदान कर देती हैं अपने चरणों की मस्ती देती हैं. उनकी कृपा के किस्से खतम नहीं होने वाले, मै कहाँ तक लिखूं.
जब तेरी इनायत पे मेरी नज़र जाती है
हे वृषभानु लली मेरी आँख भर आती है
कुछ मांगने की तो आज तक ज़रूरत ही नहीं पड़ी
हाथ उठने से पहले दुआ कबूल हो जाती है



हम सब भक्तो पर कृपा करने के लिए अब वो किशोरी जी माँ दुर्गा बनके हमारे घरों में पधारेंगी और नौ दिनों तक अपने भक्तो के साथ ही रहेंगी. वासंतीय नवरात्र शुक्रवार २३ मार्च, २०१२ से प्रारंभ हो रहे हैं, वो मैया ही दुर्गा हैं, वही काली हैं और वहो राधा रूप भी हैं. मेरी उनके श्री चरणों में यही प्रार्थना है कि उनके सारे भक्त सुखी रहें, निरोगी रहें और किसी को कोई दुःख न सताए. माँ अपनी अमृतमयी दृष्टि आपके और आपके परिवार पर सदा बनाये रखें.  
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुःख भाग भवेत्

 यदि हम अपनी संस्कृति के अनुसार देखें तो हमारा नया साल तो अब आया है. जनवरी में हमारा नया साल नहीं होता. आइये हम सब भारतीय नव वर्ष मनाये और मेरा अनुरोध है कि आप अधिक से अधिक मात्रा में इस नव वर्ष कि बधाई अपने मित्रों को दें जिससे हमारी संस्कृति एक बार फ़िर जिन्दा हो जाये और उसका प्रचार हो. आप सबको हमारे परिवार कि ओर से वासंतीय नवरात्रों और नव संवत २०६९ की हार्दिक शुभकामना. 

~~~~~~***~~~~~ जय माता दी ~~~~~***~~~~~




Monday, March 12, 2012

Upcoming Programmes and Special Information

श्रधेय आ० श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी 
द्वारा
 श्रीमद् भागवत कथा 

दिनांक: 16 मार्च से 22 मार्च 

कथा स्थल: सोनीपत, हरियाणा


"SHRIMAD BHAGWAT KATHA"
ON

We were constantly receiving requests from various devotees that they want to express their views on our blog. But it is not possible for us to give recognition to the views of each and every devotee. But now we have designed our page on the most famous Social Networking Site FACEBOOK by the name of SHRIMAD BHAGWAT KATHA. Devotees are requested to like this page and post their views on it. If you want to get your views published on the blog, you can post it on Facebook page with your name and location. If possible we will surely publish your articles. Also you can get quotes, thoughts, upcoming programmes of guruji and other relevant information about guruji. Even all the devotees can post their devotional views. 


Sunday, March 11, 2012

Prem Madhuray : A New Religious Website.


SHRI GAURAV
KRISHNA GOSWAMI JI AT SURAJGARH,JHUNJHUNU.




"PREMMADHURAY" website shri
nitynikunjvihariji ko samarpit hai.is website ke liye SHRI GAURAV KRISHNA GOSWAMI JI ne vishesh ashirwad diya
h or kaha h-"isi prakar khub kishoriji ke  liye karya karo".

please visit-www.premmadhuray.in